समास की परिभाषा | प्रकार एवं उदाहरण
समास हिंदी भाषा (Samas in Hindi) के एक प्रमुख व्याकरण में से एक है जिसके उपयोग से भाषा में संक्षिप्ता आती है , उच्चारण प्रक्रिया में सहजता का बोध होता है | समास के प्रयोग से भाषा चुस्त होती है एवं उसके सौन्दर्य का विकास होता है |
तो हम जानेंगे की Samas in Hindi , Samas kise kahate hai, Samas kya hota hai , UP Board Class 10 Hindi के समास नोट्स , समास के प्रकार कितने होते है एवं इसके उदाहरण क्या है
समास (Samas in Hindi) – दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने शब्द को ‘सामासिक पद‘ या समास कहते है |
अथवा
अनेक शब्द जब मिलकर एक पद बन जाते है तो समास कहलाता है |
अथवा
जब दो या दो से अधिक पद अपने प्रत्ययो या विभक्तियो को छोड़कर मिलते है तब उस संयोग को समास कहते है |
सामासिक पद – दो समास के पदों से निर्मित नया संक्षिप्त शब्द बनता है उसे समस्त पद या सामासिक पद कहते है |
समास के भेद (type of Samas)
पदों की प्रधानता को आधार मानकर समास 06 प्रकार के होते है |
1- अव्ययीभाव समास (Avyayibhav samas)
2 – तत्पुरुष समास (Tatpurush samas)
3- कर्मधारय समास (Karmdharay samas)
4- द्विगु समास (Dwigu samas)
5- द्वन्द समास (Dwandh samas)
6- बहुब्रीहि समास (Bahubrihi samas)
1– अव्ययीभाव समास (Avyayibhav samas) – जिस सामासिक शब्द में प्रथम पद प्रधान और पूरा पद अव्यय होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते है |
अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav samas ke Udaharan)
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
यथाशीघ्र – शीघ्रता से
सपरिवार – परिवार सहित
सानन्द – आनंद सहित
आजन्म – जन्म भर
अव्यय शब्दों के योग से बने समास – आचरण ,व्यर्थ , प्रतिदिन , यथा-संभव आदि
शब्दों के द्विरुक्ति से बने समास – वन-वन , घर-घर , मंदिर-मंदिर, एका-एक, हाथो-हाथ आदि सभी अव्ययीभाव समास के उदाहरण है |
2– तत्पुरुष समास (Tatpurush samas) – जिस सामासिक शब्द में दुसरे पद की प्रधानता होती है तथा विभक्ति चिह्न लुप्त हो जाता है , तत्पुरुष समास कहते है |
तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpursh samas ke Udaharan)
राजभवन – राजा का भवन
सुखप्रद – सुख को देने वाला
जन्मांध – जन्म से अँधा
जलमग्न – जल में मग्न
आपबीती – अपने पर बीती
गगनचुम्बी – गगन को चूमने वाला
धर्म विमुख – धर्म से विमुख
वन मानुष – वन का मानुष
3- कर्मधारय समास (Karmdharay samas) (समानाधिकरण तत्पुरुष) – जिस सामासिक शब्द में उत्तर पद की प्रधानता होती है , कर्मधारय समास कहते है | इसमें पदों में विशेषज्ञ-विश्लेषण , उपमान -उपमेय का भाव होता है |
कर्मधारय समास के उदाहरण (karmdharay samas ke Udaharan)
शशिमुख – शशि सम मुख
नीलकमल – नीला है जो कमल
महात्मा – महान है जो आत्मा
पुरषोत्तम – पुरुषो में उत्तम
चरणकमल – कमल के सामान चरण
कर्मधारय समास के प्रकार (Karmdharay Samas ke Prakar)
कर्मधारय समास के मुख्यत: दो भेद है –
1- विशेषता वाचक
2 – उपमान वाचक
- विशेषता वाचक
विशेषण पूर्वपद – पहला पद विशेषण होता है | जैसे – पीताम्बर , नीलकंठ, सुन्दर लाल , सद्गुण, खुशबु, बदबू, काली मिर्च , नीलगाय
विशेषणोंत्तर पद – इसमें उत्तर पद विशेषण होता है | जैसे – पुरषोत्तम , प्रभुदयाल , रामदहिन , मुनीश्वर , युगांतर
विशेषणोंभय पद – दोनों ही पद विशेषण होते है | जैसे – नील-पीत, मोटा ताजा , लाल पीला , भला-बुरा, खट्टा-मिट्ठा
विशेष्योभय पद – दोनों ही पद विशेष्य होते है | जैसे – प्राणप्रिय , वज्रदेह
. उपमान वाचक
उत्तर पद उपमान होता है | जैसे- मुखारविन्द, राजर्षि
4- द्विगु समास (Dwigu samas) – जिस सामासिक शब्द का प्रथम पद संख्यावाची और अंतिम पद संज्ञा हो , उसे द्विगु समास कहते है |
द्विगु समास के उदाहरण (Dwigu samas ke Udaharan)
त्रिदेव – तीन देवताओ का समूह
चौमासा – चार महीनो का समूह
पंचवटी – पांच वटो का समूह
सप्तपदी – सात पदों का समूह
नवरत्न- नौ रत्नों का समूह
अष्टाधायी – आठ अध्यायों का समूह
त्रिकाल , चौमाल, आदि
5- द्वन्द समास (Dwandh samas) – जिस सामासिक शब्द के दोनों पद प्रधान हो , दोनों पद संज्ञाए अथवा विशेषण हो , उसे द्वन्द समास कहते है | इसमें ‘और’ , ‘वा ‘, ‘अथवा’ , समुच्चय बोधक का लोप रहता है | इससे दो शब्द जुड़े होते है |
द्वन्द समास के उदाहरण (Dwandh samas ke Udaharan)
राम-कृष्ण – राम और कृष्ण
दाल-रोटी – दाल और रोटी
कंद – मूल – कंद और मूल
पाप – पूण्य – पाप या पूण्य
द्वन्द समास के प्रकार (Dwandh Samas ke Prakar)
द्वन्द समास के तीन भेद होते है –
1- इतरेतर द्वन्द – जैसे माता-पिता – माता और पिता
2 – समाहार द्वन्द जैसे नमक – रोटी – नमक और रोटी के अतिरिक्त और भी खाद्य सामग्री
3- वैकल्पिक द्वन्द जैसे – मान- अपमान , धर्म-अधर्म , ज्ञान-अज्ञान , दो-चार
6- बहुब्रीहि समास (Bahubrihi samas) – इस सामासिक पद में कोई भी शब्द प्रधान नही होता बल्कि दोनों शब्द मिलकर एक नया अर्थ प्रकट करते है
बहुब्रीहि समास के उदाहरण (Bahubrihi samas ke Udaharan)
चंद्रशेखर – चंद्रमा है शिखर पर जिसके अर्थात शिव
चतुर्भुज – चार भुजाये है अर्थात विष्णु
गजानन – गज के समान मुख है जिसका अर्थात गणेश
दुरंगा – दो रंगों वाला
निर्जन – निकल गये जन जहाँ से
बडबोला – बढ़-चढ़कर बोलने वाला
संधि और समास में अंतर
🔸 संधि – वर्णों का मेल होता है (जैसे: सु + अर्चना = स्वर्चना)
🔸 समास – शब्दों का मेल होता है (जैसे: राम + लक्ष्मण = रामलक्ष्मण)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. समास क्या है?
A1. जब दो या अधिक शब्द मिलकर एक नया सार्थक शब्द बनाते हैं, तो उसे समास कहते हैं।
Q2. समास के कितने भेद होते हैं?
A2. मुख्यतः छह – अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारय, द्विगु, द्वंद्व, बहुव्रीहि।
Q3. रामलक्ष्मण शब्द कौन-सा समास है?
A3. यह द्वंद्व समास है।
7. अन्य उपयोगी लिंक
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